वाणिज्य अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म. प्र.)
"राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं वाणिज्य शिक्षण संस्थानों में शिक्षण संस्कृति " पर वाणिज्य अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में परिचर्चा आयोजित :-
उज्जैन , 20 दिसम्बर 2019 । वाणिज्य संकाय के शिक्षाविदों में ज्ञान आधारित शिक्षण एवं शोध में प्रक्रिया स्वायत्तता की प्रवत्तियों को प्रोत्साहित करना अतिआवश्यक है। वाणिज्यिक पाठ्यक्रम आज भी प्रासंगिक है ।अच्छे है आज की नितांत आवश्यकता रोजगार सृजन है। वाणिज्य के विद्यार्थियों को व्यावहारिक प्रयोंगों को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करना ही होगा। ई-प्रस्तावित शिक्षा नीति सभी को स्टार्टअप्स के अवसर और रोजगार मूलक विकल्पों को उपलब्ध करा सकेंगी। उक्त उद्गार डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, ग्वालियर के वाणिज्य-प्रबन्धन संकायाध्यक्ष प्रो. डॉ. जी. एल. पुणतांबेकर जी ने व्यक्त किये।
परिचर्चा प्रारंभ होने के पूर्व तीनो अतिथि वक्ताओं का परिचय एवं परिचर्चा विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने किया। प्रो.डॉ.पुणतांबेकर जी ने परिचर्चा में अपने विचार व्यक्त करते हुए वाणिज्य की नई पीढ़ी को अति आत्मविश्वासी होने से बचते हुए को सद्गुणों को ही आत्मसात करने की सीख भी दी। प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति को गुणवत्तापूर्ण शोध के आयामो पर भी खुले मन से केन्द्रित रहने की अपेक्षा की। विदेशी विश्वविद्यालयों के अनुभवों की भी समीक्षा पद्धति का अपना अलग विशिष्ट चिंतन है। प्रस्तावित शिक्षा नीति में बहुआयामी रोजगार मूलक विधाओं से जोड़ने की संस्कृति को विकसित करने पर जोर दिया। आज के वाणिज्य की युवा पीढ़ी को आव्हान करते हुए पुनर्जीवित करना होगा। द्विस्तरीय प्रतिपुष्टि को भी शिक्षा नीति में समाहित करना होगा।
यूजीसी को भी मूल्यांकन के नए सोपानों के अति प्रयोगों को सूक्ष्मता से अपनाना होगा। सीबीसीएस /सेमिस्टर प्रणाली भी उन्ही प्रयोंगों में से एक है ।
शासकीय कला वाणिज्य माधव महाविद्यालय, वाणिज्य संकाय के ही वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ प्रो.केेेशव मणि शर्मा जी ने भी वाणिज्य अध्ययनशाला में विशिष्ट पैनल डिस्कशन परिचर्चा श्रृंखला आयोजन में अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। आपने नए शिक्षको से आव्हान किया कि, वे नई शॉर्ट-कट पाठ्यक्रम संस्कृति को कतई आत्मसात नहीं करे। यूजीसी को भी मूल्यांकन के नए सोपानों के अति प्रयोगों को सूक्ष्मता से अपनाना होगा। सीबीसीएस प्रणाली भी उन्ही प्रयोंगों में से एक है परिचर्चा का समापन करते हुए शासकीय माधव महाविद्यालय के वाणिज्य विभागध्यक्ष डॉ. मनीष दवे जी ने कहा कि, छात्रों को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए तैयार करने के वाणिज्य संकाय के साथ-साथ, उद्योग जगत को भी, शैक्षणिक अनुभव को भी उपयोग में लाने के प्रयासों पर बल देना होगा। शब्दों से अतिथि परिचय कार्यक्रम रूपरेखा तथा स्वागत वाणिज्य अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. धर्मेन्द्र मेहता ने किया। प्रारम्भ में पुष्पहारों से स्वागत वाणिज्य अध्ययनशाला की समस्त फैकल्टी मेंबर्स ने किया। सत्र का संचालन डॉ. रुचिका खंडेलवाल एवं डॉ. नेहा माथुर ने किया। अंत में उपस्थितों के प्रति आभार प्रदर्शन डॉ. आशीष मेहता जी ने किया। इस अवसर पर वाणिज्य अध्ययनशाला के शिक्षक डॉ. आशीष मेहता, डॉ. नेहा माथुर, डॉ. नागेश पाराशर, डॉ. कायनात तंवर, डॉ. रुचिका खंडेलवाल, डॉ.परिमिता सिंह, प्रवीण शर्मा, रूपेश सूर्यवंशी, दीपक ठाकुर तथा अध्ययनशाला के विद्यार्थीगण भी उपस्थित थे।